श्री गोविन्द प्रभु महाराज जी के द्वारा आरोगण किये गए कुछ रुचिक पदार्थ

🙏 Dandvat Pranam 🙏

भगवान् जी के अवतारोत्सव पर हम जितने पदार्थ बनने में सक्षम है उतने पदार्थ बना का भगवान् को को भोग लगाना चाहिए| 1 लाख की भाकर
2 दही दूध और माखन
3 काजू
4 श्री खंड
5 दलिया
6 बेर
7 गुलाब जामुन
8 धिडरे (बेसन से बना हुआ पुडा)
9 गुड़
10 गुड़ से बने पदार्थ
11 घी और सेवइयां
12 कच्चे ज्वार के दाने
13 मीठी ककड़ी
14 खीर
15 बैंगन
16 आम साग
17 तरबूज
18 गुड़ की रोटियां
19 आउसा जी का हलवा
20 संतरे
21 गुड़ की सेवया(सगल)
22 पकोड़े(बुड़ुदे)
23 दही भल्ले

इत्यादि पदार्थ भगवान् जी को अच्छे लगते थे |

🙏 जय श्री कृष्ण 🙏

🙏 दंडवत प्रणामनमो पंच कृष्ण अवतार

  • Author: Dandvat
  • Posted on: August 6, 2023 6:00 PM
  • Tags: Leela, Shree Govind Prabhu, Panch Krishan Avatar

भगवान श्री कृष्ण जी को छप्पन भोग क्यों लगाते है
🙏 दंडवत प्रणाम 🙏

भगवान को लगाए जाने वाले भोग की बड़ी महिमा है |इनके लिए 56 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसे छप्पन भोग कहा जाता है | यह भोग रसगुल्ले से शुरू होकर दही, चावल, पूरी, पापड़ आदि से होते हुए इलायची पर जाकर खत्म होता है |
अष्ट पहर भोजन करने वाले बालकृष्ण भगवान को अर्पित किए जाने वाले छप्पन भोग के पीछे कई रोचक कथाएं हैं |
ऐसा भी कहा जाता है कि यशोदाजी बालकृष्ण को एक दिन में अष्ट पहर भोजन कराती थी | अर्थात्…बालकृष्ण आठ बार भोजन करते थे | जब इंद्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया |
आठवे दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद हो गई है, सभी व्रजवासियो को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में आठ प्रहर भोजन करने वाले व्रज के नंदलाल कन्हैया का लगातार सात दिन तक भूखा रहना उनके व्रज वासियों और मया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ. भगवान के प्रति अपनी अन्न्य श्रद्धा भक्ति दिखाते हुए सभी व्रजवासियो सहित यशोदा जी ने 7 दिन और अष्ट पहर के हिसाब से 7X8= 56 व्यंजनो का भोग बाल कृष्ण को लगाया |
गोपिकाओं ने भेंट किए छप्पन भोग: श्रीमद्भागवत के अनुसार, गोपिकाओं ने एक माह तक यमुना में भोर में ही न केवल स्नान किया, अपितु कात्यायनी मां की अर्चना भी इस मनोकामना से की, कि उन्हें नंदकुमार ही पति रूप में प्राप्त हों|
श्रीकृष्ण ने उनकी मनोकामना पूर्ति की सहमति दे दी | व्रत समाप्ति और मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ही उद्यापन स्वरूप गोपिकाओं ने छप्पन भोग का आयोजन किया |
छप्पन भोग हैं छप्पन सखियां ऐसा भी कहा जाता है कि गौलोक में भगवान श्रीकृष्ण राधिका जी के साथ एक दिव्य कमल पर विराजते हैं | उस कमल की तीन परतें होती हैं…प्रथम परत में “आठ”, दूसरी में “सोलह” और तीसरी में “बत्तीस पंखुड़िया” होती हैं | प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और मध्य में भगवान विराजते हैं | इस तरह कुल पंखुड़ियों संख्या छप्पन होती है | 56 संख्या का यही अर्थ है |

🙏 जय श्री कृष्ण 🙏