🙏 Dandvat Pranam 🙏
पूर्वार्ध:- 🔴 १) पैठण.. शके ११९०, रवि ०७.१०.१२६८
🔴 २) सिन्नर.. शके ११९१, शनि २६.१०.१२६९
🔴 ३) बिड.. शके ११९२, बुध, १५.१०.१२७०
🔴 ४) जालना.. शके ११९३, सोम ०५.१०.१२७१
उत्तरार्ध:- 🔴 ५) डोमेग्राम.. शके ११९४, शनि २२.१०.१२७२
🔴 ६) नेवासा.. शके ११९५, बुध ११.१०.१२७३
🔴 ७) पैठण.. शके ११९६, सोम ०१.१०.१२७४
🔴 ८) आंबा [शेकटा].. शके ११९७, रवि २०.१०.१२७५
महात्माओं की दीवाली एक दिन महदाइसाने भगवानसे प्रार्थना की, ‘महाराज ! मैं आपकी सेवामें दीवालीका त्यौहार मनाऊँगी ।’ भगवानने आज्ञा दी, ‘हमारे साथ महात्मालोगोंकी भी दीवाली मनायी जाये । त्यौहार मनानेका सामान यदि कम हो, तो नागुबाइसासे माँग लो ।’
महदाइसाने ‘जो आज्ञा’ कहकर सबको स्नान करानेके लिये संध्याके समय ही पानी भर लिया । उमाइसाके घरसे उबटन, तेल तथा साबुन ले आयी । उस दिन भगवान् बहुत सवेरे उठकर शौच आदिसे निवृत्त होकर आसनपर आ बैठे । भक्तलोगोंको भी बैठाया गया । महदाइसाने भक्त तथा भगवानकी आरती उतारी और भगवानको वीड़ा दिया । महदाइसाने भगवानके शरीरपर उबटन मला । उस कटोरीमें और तेल डालकर उसने भक्तोंको दिया । उन्होंने उबटनसे परस्पर एक-दूसरेके शरीरका मर्दन किया । उसने भगवानके सिरपर तेलकी मालिश की । भगवानको ऊँचे चबूतरेपर बिठलाया गया । नारियलके दूधसे उनका सिर धोया गया । भक्तजनोंको भी हरे नारियलका दूध सिरमें लगानेको दिया गया । उन्होंने एक-दूसरेके सिरपर मल लिया । फिर भगवानको जलसे नहलाया गया । महदाइसा पानी डाल रही थी और बाइसाजी सिर तथा शरीरको मल रही थी । भक्तलोग चबूतरेके नीचे खड़े होकर उस पानीसे नहा रहे थे । अंतमें जब भगवानकी श्रीमूर्तिपर पानीकी धार डाली गयी, तो भगवानने दोनों हाथ सिरपर रख लिये । पानी कुहनियोंसे होकर बहने लगा । उस पानीसे भक्तजन नहाये । इस प्रकार भगवान् तथा भक्तोंको स्नान करवाया गया ।
शरीरपर बाल अधिक होनेके कारण नागदेवजीको और अलग पानी देकर नहलाया गया । महदाइसाने कुछ वस्तुएँ लेकर भगवानके सिरसे वार दीं । उसके पश्चात भगवानने वस्त्र पहिन लिये । भगवानको आसनपर बिठलाकर उनकी पूजा की गयी । सभीको चंदनका तिलक लगाया गया । पुनश्च सभीके सिरपरसे कुछ वस्तुएँ वार दी गयीं । भगवानको वीड़ा और भक्तजनोंको पान दिये गये । भगवानने सबको पान खानेकी आज्ञा दी । सबने पान खाये । उतनेमें अरुणोदय हो जानेपर बाइसाजीने दैनिक पूजाअवसर किया । बादमें भगवान् विहरणके लिये चले गये और महदाइसा भोजन बनानेमें लग गयी ।
विहरणसे भगवानके लौटनेपर महदाइसाने पूजाअवसर किया । भगवानके लिये थाल और भक्तोंके लिये पत्तलें परोसी गयीं । भगवानके साथ बैठकर सब भक्तजनोंने भोजन किया । इस प्रकार दीपावली मनायी गयी ।
🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏