ईश्वर की ओर से ये चार प्रकार के दान दिये जाते है

🙏 Dandvat Pranam 🙏

बिना भाग्य जो वस्तु ईश्वर अवतार देते है।
वह लिला ज्ञान कहलाता है।
अवतार के सम्बन्ध से जो फल प्राप्त होता है वह सम्बन्धदान है।
जोवो के कर्मों को ग्रहण कर उन्हे सीघ्रता से भुगवाने को ग्रहणा दान कहते है।
और ईश्वर स्वरूप की प्राप्ती होना यह कैवल्यदान है।
ईस प्रकार ईश्वर की ओर से ये चार प्रकार के दान दिये जाते है।

🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏

🙏 दंडवत प्रणामनमो पंच कृष्ण अवतार

  • Author: Dandvat
  • Posted on: September 24, 2023 6:00 PM
  • Tags: Leela, Shree Krishna Prabhu, Shree Chakrdhar Swami, Panch Krishan Avatar

सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामी महाराज यांनी, महाराष्ट्रात साजरे केलेले आठ दिवाळी सन
🙏 Dandvat Pranam 🙏

पूर्वार्ध:- 🔴 १) पैठण.. शके ११९०, रवि ०७.१०.१२६८
🔴 २) सिन्नर.. शके ११९१, शनि २६.१०.१२६९
🔴 ३) बिड.. शके ११९२, बुध, १५.१०.१२७०
🔴 ४) जालना.. शके ११९३, सोम ०५.१०.१२७१

उत्तरार्ध:- 🔴 ५) डोमेग्राम.. शके ११९४, शनि २२.१०.१२७२
🔴 ६) नेवासा.. शके ११९५, बुध ११.१०.१२७३
🔴 ७) पैठण.. शके ११९६, सोम ०१.१०.१२७४
🔴 ८) आंबा [शेकटा].. शके ११९७, रवि २०.१०.१२७५

महात्माओं की दीवाली एक दिन महदाइसाने भगवानसे प्रार्थना की, ‘महाराज ! मैं आपकी सेवामें दीवालीका त्यौहार मनाऊँगी ।’ भगवानने आज्ञा दी, ‘हमारे साथ महात्मालोगोंकी भी दीवाली मनायी जाये । त्यौहार मनानेका सामान यदि कम हो, तो नागुबाइसासे माँग लो ।’
महदाइसाने ‘जो आज्ञा’ कहकर सबको स्नान करानेके लिये संध्याके समय ही पानी भर लिया । उमाइसाके घरसे उबटन, तेल तथा साबुन ले आयी । उस दिन भगवान् बहुत सवेरे उठकर शौच आदिसे निवृत्त होकर आसनपर आ बैठे । भक्तलोगोंको भी बैठाया गया । महदाइसाने भक्त तथा भगवानकी आरती उतारी और भगवानको वीड़ा दिया । महदाइसाने भगवानके शरीरपर उबटन मला । उस कटोरीमें और तेल डालकर उसने भक्तोंको दिया । उन्होंने उबटनसे परस्पर एक-दूसरेके शरीरका मर्दन किया । उसने भगवानके सिरपर तेलकी मालिश की । भगवानको ऊँचे चबूतरेपर बिठलाया गया । नारियलके दूधसे उनका सिर धोया गया । भक्तजनोंको भी हरे नारियलका दूध सिरमें लगानेको दिया गया । उन्होंने एक-दूसरेके सिरपर मल लिया । फिर भगवानको जलसे नहलाया गया । महदाइसा पानी डाल रही थी और बाइसाजी सिर तथा शरीरको मल रही थी । भक्तलोग चबूतरेके नीचे खड़े होकर उस पानीसे नहा रहे थे । अंतमें जब भगवानकी श्रीमूर्तिपर पानीकी धार डाली गयी, तो भगवानने दोनों हाथ सिरपर रख लिये । पानी कुहनियोंसे होकर बहने लगा । उस पानीसे भक्तजन नहाये । इस प्रकार भगवान् तथा भक्तोंको स्नान करवाया गया ।
शरीरपर बाल अधिक होनेके कारण नागदेवजीको और अलग पानी देकर नहलाया गया । महदाइसाने कुछ वस्तुएँ लेकर भगवानके सिरसे वार दीं । उसके पश्चात भगवानने वस्त्र पहिन लिये । भगवानको आसनपर बिठलाकर उनकी पूजा की गयी । सभीको चंदनका तिलक लगाया गया । पुनश्च सभीके सिरपरसे कुछ वस्तुएँ वार दी गयीं । भगवानको वीड़ा और भक्तजनोंको पान दिये गये । भगवानने सबको पान खानेकी आज्ञा दी । सबने पान खाये । उतनेमें अरुणोदय हो जानेपर बाइसाजीने दैनिक पूजाअवसर किया । बादमें भगवान् विहरणके लिये चले गये और महदाइसा भोजन बनानेमें लग गयी ।
विहरणसे भगवानके लौटनेपर महदाइसाने पूजाअवसर किया । भगवानके लिये थाल और भक्तोंके लिये पत्तलें परोसी गयीं । भगवानके साथ बैठकर सब भक्तजनोंने भोजन किया । इस प्रकार दीपावली मनायी गयी ।

🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏
एक दिन महदाइसा ने श्री चकर्धर स्वामी जी से पूछा, हे प्रभो! प्रभु श्री कृष्ण चंदर जी ने उद्धव देव को प्रेम दान किस प्रकार दिया ?
🙏 Dandvat Pranam 🙏

सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामी जी ने उत्तर दिया, महदाइसा! जब भगवन श्री कृष्ण जी राजा कंस का वध करके कारागर की ओर जाने लगे तो वहा देखा की उद्धव देव भयभीत स्तम्भ के पीछे खड़े थे |
श्री कृष्ण जी ने उन्हें छिपा देख कर कहा, अरे! वहा कूँ खड़ा है| उतर देते हुए अन्य सेवक ने कहा| प्रभु जी वहा पर राजा कंस के प्रधान मंत्री है| तत्काल उद्धव ने कहा, प्रभु जी में अपनी बुद्धि से कुछ मंत्रणा कंस के समुख रखा करता था| तब प्रभु जी ने कहा, आपने आजतक कंस का अमात्यतव सवीकारा था, अब आजसे आप हमारा मंत्रितब धारण करो ओर हमे मंत्रणा दिया करो|
प्रभु जी के इन्ही वचनों के साथ उद्धव देव को प्रेम संक्रमण हुआ ओर उन्होंने प्रभु जी को सहस्तांग दंडवत प्रणाम कर, खुदको धन्य माना|

🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏