एक दिन महदाइसा ने श्री चकर्धर स्वामी जी से पूछा, हे प्रभो! प्रभु श्री कृष्ण चंदर जी ने उद्धव देव को प्रेम दान किस प्रकार दिया ?

🙏 Dandvat Pranam 🙏

सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामी जी ने उत्तर दिया, महदाइसा! जब भगवन श्री कृष्ण जी राजा कंस का वध करके कारागर की ओर जाने लगे तो वहा देखा की उद्धव देव भयभीत स्तम्भ के पीछे खड़े थे |
श्री कृष्ण जी ने उन्हें छिपा देख कर कहा, अरे! वहा कूँ खड़ा है| उतर देते हुए अन्य सेवक ने कहा| प्रभु जी वहा पर राजा कंस के प्रधान मंत्री है| तत्काल उद्धव ने कहा, प्रभु जी में अपनी बुद्धि से कुछ मंत्रणा कंस के समुख रखा करता था| तब प्रभु जी ने कहा, आपने आजतक कंस का अमात्यतव सवीकारा था, अब आजसे आप हमारा मंत्रितब धारण करो ओर हमे मंत्रणा दिया करो|
प्रभु जी के इन्ही वचनों के साथ उद्धव देव को प्रेम संक्रमण हुआ ओर उन्होंने प्रभु जी को सहस्तांग दंडवत प्रणाम कर, खुदको धन्य माना|

🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏

🙏 दंडवत प्रणामनमो पंच कृष्ण अवतार

  • Author: Dandvat
  • Posted on: October 1, 2023 6:00 PM
  • Tags: Leela, Shree Krishna Prabhu, Shree Chakrdhar Swami, Panch Krishan Avatar

नृत्य देखना
🙏 Dandvat Pranam 🙏

जय श्री चक्रधर स्वामी जी
एक दिन भगवान श्रीचक्रधर स्वामीजी चांगदेव मंदिरके पिछले हिस्सेमें बैठे थे । उतनेमें एक नर्तक मंडली वहाँ नृत्य करने आ पहुँची । उनमेंसे एक स्त्री वस्त्र बदलने जब मंदिरके पीछे आयी, तो उसने वहाँ भगवानको विराजमान देखा । वह भगवानके असीम सौंदर्यपर मनोमुग्ध हो आत्मविस्मृत-सी हुई निर्निमेष दृष्टिसे उनकी ओर टुकुरटुकुर ताकती रही । जब काफी देर बाद भी वह वापस न आयी, तो दूसरे नर्तक भी उसे खोजते खोजते वहाँ जमा हो गये और भगवानके देदीप्यमान सौंदर्यको देख अपनी सुधबुध खो बैठे। उनको अपने पास एकत्रित हुआ देख भगवानने उनसे कहा, 'आप सब अंदर चलकर नृत्यकी तैयारी करो, हम वहीं आते हैं ।'
भगवानके इन शब्दोंसे उनकी तंद्रा टूटी, तो उन्होंने अपनेआपको विमोहितसा पाया । उनकी आज्ञानुसार वे सब मंदिर में जाकर नृत्यकी तैयारीमें लग गये । थोड़ी देर बाद भगवान भी मंदिरमें जा पहुँचे । सबने भगवानको अपनीअपनी कला दिखायी । भगवानने सबकी कलाकी भूरिभूरि प्रशंसा की तथा उन्हें प्रसाद रूप में पान खिलाये । जानेसे पूर्व उन्होंने कहा, 'महाराज, आपकी श्रीमुर्तिके दर्शनसे हमें बड़ा आनंद प्राप्त हुआ है । ऐसा आनंद, जिसको हम शब्दोंमें व्यक्त नहीं कर सकते । आजकल तो कलाका कोई सच्चा पारखी है ही नहीं । आपने हमें जो प्रोत्साहन दिया है, उससे भी हमें बड़ा बल मिला है ।'
एक दूसरी नर्तकीने आगे बढ़कर प्रार्थना की, 'महाराज, यदि आपको कष्ट न हो, तो भोजन करने आप हमारे यहाँ ही चलें ।'
प्रत्युत्तरमें भगवानने कहा, 'हमें आज कहीं अन्यत्र आमंत्रण है, इसलिये तुम्हारे साथ नहीं चल सकते । हाँ, फिर कभी तुम्हारे अनुरोधको हम जरूर पूर्ण करेंगे ।'
सबके चले जानेपर भगवान भी अपने निवास स्थानपर लौट आये|
श्रीचक्रधरार्पणम्

🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏