लाहीभट्टकी श्रवणजिज्ञासा
🙏 Dandvat Pranam 🙏
जय श्री चक्रधर स्वामी जी
एक दिन लाहीभट्ट श्रीचक्रधर स्वामीजीके दर्शनोंको आया । प्रणाम करनेके उपरांत उसने भगवानसे कुछ सुननेकी प्रार्थना की । भगवान् बोले, ' लाहीभट्ट, अपने मनमें धारण किये देवताविषयक सकाम कर्मोंको भुला देनेपर ही तुम हमारे उपदेशके वास्तविक अधिकारी बन सकते हो । उनके रहते ईश्वरीय ज्ञानकी प्राप्ति दुर्लभ है।'
लाहीभट्ट बोला, 'महाराज! देवताभक्त ईश्वरीय ज्ञानको धारण क्यों नही कर सकता ? उसमें भी तो कर्मकांड पर अटूट श्रद्धा रहती है ।'
भगवानने समझाते हुए कहा, 'भट्ट! कोरा कर्मकांड मुक्ति नहीं दिला सकता । उससे तो केवल देवताओंके सुखफल ही प्राप्त हो सकते हैं । ईश्वरीय ज्ञानके लिये तो मनुष्यको एकनिष्ठ होना परम आवश्यक है ; क्योंकि जैसे एक मनुष्यके ठहरने पर उस स्थान पर दूसरा मनुष्य नहीं ठहर सकता, वैसे ही देवताविषयक अथवा सांसारिक कामनाओंसे ठसाठस भरे हुए हृदयमें ईश्वरीय ज्ञान चिरंतन कालतक ठहर नहीं सकता ।'
सूत्र : वि. बाइः बिढारावरि काइ बिढारु असे ।।२६४ ।।
श्रीचक्रधरार्पणम्
जय चक्रपाणि महाराज जी
🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏
जय श्री चक्रधर स्वामी जी
एक दिन लाहीभट्ट श्रीचक्रधर स्वामीजीके दर्शनोंको आया । प्रणाम करनेके उपरांत उसने भगवानसे कुछ सुननेकी प्रार्थना की । भगवान् बोले, ' लाहीभट्ट, अपने मनमें धारण किये देवताविषयक सकाम कर्मोंको भुला देनेपर ही तुम हमारे उपदेशके वास्तविक अधिकारी बन सकते हो । उनके रहते ईश्वरीय ज्ञानकी प्राप्ति दुर्लभ है।'
लाहीभट्ट बोला, 'महाराज! देवताभक्त ईश्वरीय ज्ञानको धारण क्यों नही कर सकता ? उसमें भी तो कर्मकांड पर अटूट श्रद्धा रहती है ।'
भगवानने समझाते हुए कहा, 'भट्ट! कोरा कर्मकांड मुक्ति नहीं दिला सकता । उससे तो केवल देवताओंके सुखफल ही प्राप्त हो सकते हैं । ईश्वरीय ज्ञानके लिये तो मनुष्यको एकनिष्ठ होना परम आवश्यक है ; क्योंकि जैसे एक मनुष्यके ठहरने पर उस स्थान पर दूसरा मनुष्य नहीं ठहर सकता, वैसे ही देवताविषयक अथवा सांसारिक कामनाओंसे ठसाठस भरे हुए हृदयमें ईश्वरीय ज्ञान चिरंतन कालतक ठहर नहीं सकता ।'
सूत्र : वि. बाइः बिढारावरि काइ बिढारु असे ।।२६४ ।।
श्रीचक्रधरार्पणम्
जय चक्रपाणि महाराज जी
🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏
🙏 दंडवत प्रणामनमो पंच कृष्ण अवतार
- Author: Dandvat
- Posted on: October 15, 2023 6:00 PM
- Tags: Leela, Shree Chakrdhar Swami, Panch Krishan Avatar