सबको अपने जैसा जानो
🙏 Dandvat Pranam 🙏
जय श्री चक्रधर स्वामी जी
नियमानुसार एक दिन आश्रमकी देखभाल आउसा कर रही थी । एक कुत्तेको आया देखकर उसने उसे पत्थर मारा । पत्थर लगते ही कुत्ता चिल्लाता हुआ पूँछ दबाकर बाहरकी ओर भाग गया । कुत्तेका रोना था कि उधर भगवान् दोनों हाथोंमें अपना मस्तक थामकर बैठ गये ।
भगवानको श्रीमुकुट थामे देख आउसाका रंग उड गया । वह भागकर उनके पास जा पहुँची । उसने अकुलाकर खिन्न मनसे पूछा - 'महाराज! मैंने मारा तो कुत्तेको है, आप कयों मस्तक थामकर बैठ गये हैं ?'
भगवानने समझाया - 'आउसा ! ईश्वरस्वरूप सर्वत्र व्यापक है। किसी जीव पर किये प्रहारका इसीलिये वह अनुभव करता है। तुमने उस प्राणीको पत्थर मारा, उसकी पीड़ा हमें हुई, इसीलिए हमने मस्तक थाम लिया।' फिर उन्होंने कुछ थमकर पूछा - 'बताओ तो तुमने उसे मारा कयों है ?'
आउसाने उत्तर दिया, 'महाराज! कल यही कुत्ता नागदेवके भिक्षान्नकी झोली उठा ले गया था । आज यह पुनः कुछ उठानेकी नीयतसे आया था । यदि मैं इसे न मारती, तो यह अवश्य ही आज भी कुछ ले भागता । अतः मैंने उसे समुचित दंड दिया है , तो कोई अपराध नहीं किया ।'
भगवानने कहा, 'आउसा ! मनुष्यके समान इसे पकाकर खिलानेवाला तो कोई है नहीं, जहाँ जाकर यह आरामसे खायेगा । इस बेचारेने तो इसी तरह घूम-फिरकर पेट भरना है । तुम अपनी चीजोंको सम्भालकर रखो, उसके लिए इसे क्यों दंडित करती हो ? यह तो खुद तुम्हारा दोष है । इस तरह वस्तुओंको असुरक्षित रखोगी, तो यह तो मुँह मारेगा ही ।'
भगवानके उदात्त विचारोंके आगे आउसा नतमस्तक हो गई और उसने *अपने अपराधकी क्षमा माँगकर पुनः वैसा न करनेकी प्रतिज्ञा ली।
जय श्री चक्रधर जी
🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏
जय श्री चक्रधर स्वामी जी
नियमानुसार एक दिन आश्रमकी देखभाल आउसा कर रही थी । एक कुत्तेको आया देखकर उसने उसे पत्थर मारा । पत्थर लगते ही कुत्ता चिल्लाता हुआ पूँछ दबाकर बाहरकी ओर भाग गया । कुत्तेका रोना था कि उधर भगवान् दोनों हाथोंमें अपना मस्तक थामकर बैठ गये ।
भगवानको श्रीमुकुट थामे देख आउसाका रंग उड गया । वह भागकर उनके पास जा पहुँची । उसने अकुलाकर खिन्न मनसे पूछा - 'महाराज! मैंने मारा तो कुत्तेको है, आप कयों मस्तक थामकर बैठ गये हैं ?'
भगवानने समझाया - 'आउसा ! ईश्वरस्वरूप सर्वत्र व्यापक है। किसी जीव पर किये प्रहारका इसीलिये वह अनुभव करता है। तुमने उस प्राणीको पत्थर मारा, उसकी पीड़ा हमें हुई, इसीलिए हमने मस्तक थाम लिया।' फिर उन्होंने कुछ थमकर पूछा - 'बताओ तो तुमने उसे मारा कयों है ?'
आउसाने उत्तर दिया, 'महाराज! कल यही कुत्ता नागदेवके भिक्षान्नकी झोली उठा ले गया था । आज यह पुनः कुछ उठानेकी नीयतसे आया था । यदि मैं इसे न मारती, तो यह अवश्य ही आज भी कुछ ले भागता । अतः मैंने उसे समुचित दंड दिया है , तो कोई अपराध नहीं किया ।'
भगवानने कहा, 'आउसा ! मनुष्यके समान इसे पकाकर खिलानेवाला तो कोई है नहीं, जहाँ जाकर यह आरामसे खायेगा । इस बेचारेने तो इसी तरह घूम-फिरकर पेट भरना है । तुम अपनी चीजोंको सम्भालकर रखो, उसके लिए इसे क्यों दंडित करती हो ? यह तो खुद तुम्हारा दोष है । इस तरह वस्तुओंको असुरक्षित रखोगी, तो यह तो मुँह मारेगा ही ।'
भगवानके उदात्त विचारोंके आगे आउसा नतमस्तक हो गई और उसने *अपने अपराधकी क्षमा माँगकर पुनः वैसा न करनेकी प्रतिज्ञा ली।
जय श्री चक्रधर जी
🙏 जय श्री कृष्ण जी 🙏
🙏 दंडवत प्रणामनमो पंच कृष्ण अवतार
- Author: Dandvat
- Posted on: October 29, 2023 6:00 PM
- Tags: Leela, Shree Krishna Prabhu, Shree Chakrdhar Swami, Panch Krishan Avatar